Ba 2nd Semester Psychology Unit- 1

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Ba 2nd Semester Psychology Unit- 1 : बीए द्वितीय सेमेस्टर मनोविज्ञान अध्याय-1 का नोट्स इन हिन्दी

Ba 2nd Semester Psychology Unit- 1 : नमस्कार साथियों, आप सभी आज एक और नये आर्टिकल में स्वागत है । यदि आप भारत के किसी भी विश्वविद्यालय से स्नातक द्वितीय सेमेस्टर (2nd Semesterके परीक्षा कि तैयारी कर रहे है और यदि आपने  PSYCHOLOGY (MAJOR-2/MINOR-2/MDC-2विषय का चयन किये है । तो आपलोग इस आर्टिकल को ध्यानपूर्वक पढे ।

Ba 2nd Semester Psychology Unit- 1

इस आर्टिकल में आपने अपने Topper Guruji के द्वारा PSYCHOLOGY के  UNIT-1 का बेहतरीन एवं सटिक नोट्स तैयार किया गया है । जो आपको परीक्षा में काफी ज्यादा मदद करेंगी ।  आर्टिकल अगर हेल्पफुल लगे तो अपने सभी दोस्तों को ज्यादा से ज्यादा शेयर किजिए । और इसी तरह के पोस्ट के लिए रोज Visit करे topperguruji.com

UNIT-01. Social Psychology

Ba 2nd Semester Psychology Notes in Hindi Based on CBCS Pattern

  • Introduction of Social Psychology (सामाजिक मनोविज्ञान का परिचय)
  • Definitions Of Social Psychology (सामाजिक मनोविज्ञान कि परिभाषाएँ )
  • Nature of Social Psychology (सामाजिक मनोविज्ञान कि प्रकृति )
  • Importance/Uses Of Social Psychology (सामाजिक मनोविज्ञान का महत्व / उपयोगिता)
  • Scope of Social Psychology (सामाजिक मनोविज्ञान का दायरा )

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Ba 2nd Semester Psychology Unit- 1 : Introduction Of Social Psychology (सामाजिक मनोविज्ञान का परिचय)

  • मनोविज्ञान की शाखा के रूप में समाज मनोविज्ञान का विस्तार तथा विकास मैक्डूगल की पुस्तक “Introduction to Social Psychology“, 1908 के प्रकाशित होने के बाद तेजी से हुआ।
  • मनुष्य जन्म से जिज्ञासु होता है। इस कारण मनुष्य व्यवहार और व्यवहार के विभिन्न स्वरूपों को जानने व समझने का प्रयास करता है। प्रत्येक व्यक्ति विभिन्न परिस्थितियों में भिन्न-भिन्न प्रकार का व्यवहार करता है। इसी व्यवहार के ‘क्यों’ ‘कैसे’ और ‘किस लिए’ को समझने का प्रयास ही समाज मनोविज्ञान करता है। अर्थात् ,
  • समाज मनोविज्ञान, मनोविज्ञान की वह शाखा है जिसके अन्तर्गत सामाजिक समस्याओं, सामाजिक व्यवहार तथा मनुष्य की सामाजिक अंतःक्रिया का क्रमबद्ध तथा वैज्ञानिक रूप से अध्ययन किया जाता है।

Ba 2nd Semester Psychology Unit- 1 : Definition Of Social Psychology (सामाजिक मनोविज्ञान कि परिभाषाएँ)

  • किम्बल यंग (1961) के अनुसार-: “समाज मनोविज्ञान व्यक्तियों की पारस्परिक प्रतिक्रिया का और इससे प्रभावित व्यक्ति के विचारों, संवेगो, तथा आदतों का अध्ययन है।
  • “फिशर (1982) के अनुसार-: समाज मनोविज्ञान को पारिभाषित करते हुए कहा जा सकता है कि किस ” प्रकार से व्यक्ति का व्यवहार सामाजिक वोतावरण में उपस्थित दूसरे लोगों के दद्वारा प्रभावित होता है, बदले में उस व्यक्ति का व्यवहार भी प्रभावित होता है।”
  • फेल्डमैन (1985) के अनुसार -: “समाज मनोविज्ञान वह विज्ञान है जिसमें यह अध्ययन किया जाता है कि एक व्यक्ति के विचार, भावनाएं तथा क्रियाएं दूसरे व्यक्तियों द्वारा किस प्रकार प्रभावित होती हैं।“
  • “बैरन तथा बाइरनी (2003) के अनुसार -: “समाज मनोविज्ञान वह विज्ञान है, जो सामाजिक परिस्थितियों में व्यक्ति के व्यवहार की प्रकृति और कारणों के ज्ञान से सम्बन्धित होता है।”

Ba 2nd Semester Psychology Unit- 1 : Nature of Social Psychology (सामाजिक मनोविज्ञान कि प्रकृति )

सामाजिक मनोविज्ञान की परिभाषाओं पर विचार करने पर स्पष्ट होता है कि-

  • सामाजिक मनोविज्ञान एक विज्ञान है। यह भी स्पष्ट होता है कि इसमें व्यक्ति के उन व्यवहारों तथा अनुभवों का अध्ययन किया जाता है, जिनका प्रदर्शन या उत्पत्ति सामाजिक परिस्थिति के कारण होता है।
  • ऐसे व्यवहार जिनकी उत्पत्ति सामाजिक कारणों से नहीं होती है वे सामाजिक मनोविज्ञान की परिधि में नहीं आते हैं।
  • इसका मूल उददेश्य सामाजिक व्यवहार को समझाना तथा कारणों की स्पष्ट करना होता है।
  • सामाजिक व्यवहार सामाजिक अन्तक्रिया या सामाजिक प्रभाव का परिणाम होता है।
  • सामाजिक उददीपक परिस्थिति का ते का निर्माण अन्य व्यक्ति, अन्य व्यक्तियों के समूहों तथा तथा सार सांस्कृतिक कारकों से होता है। इनसे प्रभावित होने पर सामाजिक व्यवहार प्रदर्शित होता है।

समाज मनोविज्ञान विज्ञान है इस तथ्य का परीक्षण विज्ञान के आवश्यक तत्वों के आधार पर कर सकते हैं। विज्ञान के आवश्यक तत्व निम्नलिखित हैं:-

  • वैज्ञानिक पद्धतिः- किसी भी विषय को विज्ञान तभी कहा जा सकता है तब उसकी अध्ययन पद्धतियां वैज्ञानिक हो। निरीक्षण विधि, श्रेणी, मापनी विधियां, मनोमिति विधियां तथा सांख्यिकीय विधियां ऐसी वैज्ञानिक विधियां हैं जिनका प्रयोग समाज मनोविज्ञान की समस्याओं के अध्ययन हेतु किया जाता है।
  • प्रमाणिकताः- किसी भी विषय को विज्ञान तभी कहा जाता है जब उसकी विषय सामग्री में प्रमाणिकता का गुण पाया जाता है अर्थात् उस विषय सामग्री को जितनी बार जांचा जाये उससे एक ही परिणाम प्राप्त हो। समाज मनोविज्ञान की विषय सामग्री प्रमाणिक होने के कारण समाज मनोविज्ञान इस कसौटी पर खरी उतरती है।
  • सार्वभौमिकताः- वैज्ञानिक विषयों के सिद्धांत तथा नियमों के सार्वभौमिक होने का अर्थ है कि यह सिद्धांत और नियम किसी देश या काल में खरे उतरते हैं। समाज मनोविज्ञान की विषय सामग्री में वस्तुनिष्ठता, प्रमाणिकता और भविष्यवाणी की योग्यता है तो निश्चित रूप से यह सि‌द्धांत और नियम सार्वभौमिक होंगे।
  • वस्तुनिष्ठताः- जब हम किसी घटना का परीक्षण वास्तविक रूप में करते हैं और जब शोधकर्ता की मनोवृतियों का परीक्षण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता तो ऐसे परीक्षणों से प्राप्त परिणाम वस्तुनिष्ठ परिणाम कहलाते हैं। शोध करने वाले सभी शोधकर्ता एक ही निष्कर्ष प्राप्त करते हैं तो उस परिणाम में वस्तुनिष्ठता पायी जाती है।
  • भविष्यवाणी की योग्यता: वैज्ञानिक विषयों में भविष्यवाणी की योग्यता भी पायी जाती है। इसका तात्पर्य यह है कि यदि किसी समूह के व्यवहार का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाये तो यह भविष्यवाणी की जा सकती है कि वह समूह भविष्य में किस तरह का व्यवहार करेगा। चूंकि समाज मनोविज्ञान की समस्याओं का परीक्षण वैज्ञानिक विधियों द्वारा किया जाता है अतः समाज मनोविज्ञान के अध्ययनों के आधार पर भविष्यवाणी की जा सकती है।

Ba 2nd Semester Psychology Unit- 1 : Impoetance of Social Psychology (सामाजिक मनोविज्ञान का महत्व/उपयोगिता )

सामाजिक मनोविज्ञान के महत्व एवं उपयोगिता निम्नलिखित है-

01. व्यवहारिक उपयोगिता

  • सुखद सामाजिक जीवन स्थापना में ।
  • स्वस्थ सामाजिक समायोजन में।
  • सामाजिक प्रकृति के अध्ययन में।
  • भेदभाव मुक्त सामाजिक विकास में।
  • सामाजिक अंतःक्रियाओं के अध्ययन में।
  • अपराध तथा समाज विरोधी व्यवहार के अध्ययन में।
  • पारिवारिक समायोजन के अध्ययन में।
  • क्रांति, युद्ध आदि गंभीर सामाजिक समस्याओं के अध्ययन में।
  • जनमत, प्रचार तथा फैशन आदि क्षेत्र के अध्ययन में।

02. सैद्धान्तिक उपयोगिता

सामाजिक मनोविज्ञान की कुछ सैद्धान्तिक उपयोगिताएं भी हैं, जिसके कारण मनोविज्ञान की यह शाखा काफी लोकप्रिय हो गई है।

  • सामाजिक परिस्थिति में व्यक्तियों के अन्तः क्रियाओं का अध्ययन कर समाज मनोवैज्ञानिकों दवारा ऐसे नियम एवं सिद्धान्त तैयार किए जाते हैं जिससे स्वस्थ सामाजिक क्रम (Social order) बना रहे। निश्चित सामाजिक क्रम एवं सामाजिक व्यवस्था के परिणामस्वरूप व्यक्तियों में खुशहाली बनी रहती है।
  • प्रत्येक समाज का एक मानक एवं मूल्य होता है, जिसके अनुसार व्यक्तियों को व्यवहार करनी पड़ता है । इन मानकों के आधार पर समाज मनोवैज्ञानिक यह बताने की इन कोशिश करते हैं कि अमुक व्यक्ति का व्यवहार समाज विरोधी क्यों है। इसके कारण क्या हैं। इनका उपचार कैसे हो सकता है।
  • समाज मनोविज्ञान व्यक्तित्व के स्वस्थ विकास में मदद करता है। समाज मनोविज्ञान व्यक्तियों को एक सफल, सजग एवं सुन्दर नागरिक बनाकर एक आदर्श समाज की स्थापना करने में मदद करता है।
  • समाज मनोविज्ञान दूसरे व्यक्तियों का सही सही प्रत्यक्षण करने तथा उनके बारे मे सही-सही निर्णय लेने में मदद करता है।
  • सामाजिक मनोवैज्ञानिकों द्वारा व्यक्ति प्रत्यक्षण (Social perception) के क्षेत्र में अनेक सिद्धान्तों एवं नियमों का प्रतिपादन किया गया है। जिनसे अन्य व्यक्तियों को समझने एवं उनके साथ सामाजिक अन्तःक्रिया करने में मदद मिलती है।
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