Summary of Ramchandra Shukla Story Bhay : आचार्य रामचन्द्र शुक्ल द्वारा रचित भय निबन्ध का सारांश
Summary of Ramchandra Shukla Story Bhay : नमस्कार दोस्तों, आइए जानते है आज आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के एक मशहूर निबन्ध “Bhay (भय)” के बारें में । इस आर्टिकल में मैं आपको बताऊँगा Bhay (भय) निबन्ध का सारांश और आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के जीवन परिचय के बारें में । इसलिए पूरें आर्टिकल को ध्यानपूर्वक पढें ।
Summary of Ramchandra Shukla Story Bhay : Overview
Name of Article | Summary of Ramchandra Shukla Story Bhay |
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आइए जानते है “भय” निबन्ध के सारांश को जो आपके जानकारी के लिए अतिमहत्वपूर्ण है ।
गद्य का परिचय
- शीर्षक: भय (शाब्दिक अर्थ- “डर”)
- (हृदय में उत्पन्न होने वाला वह भाव जो व्याकुलता और आश्चर्य को जन्म देती है।)
- लेखक : रामचन्द्र शुक्ल
- उद्धत : चिंतामणि (1939 ई. में प्रकाशित)
- आधार : भय मनोभाव पर आधारित
- विधा : निबन्ध
निबन्ध का सारांश
Summary Video Link :
- भय का शाब्दिक अर्थ है “डर”। यह एक ऐसा भाव है जो किसी भावी आपदा की भावना या दुःख के कारण के सामने आने पर उत्पन्न होता है।• भय के दो रूप हैं-साध्य और असाध्य।- साध्य भय वह है जिसे दूर किया जा सकता है। जैसे कि किसी जानवर से डरना।• असाध्य भय वह है जिससे बचा नहीं जा सकता है।
जैसे कि मृत्यु से डरना।
• भय एक प्राकृतिक मनोभाव है। यह मनुष्य और अन्य प्राणियों में पाया जाता है।
• भय का उद्देश्य हमें खतरे से बचाना है। भय के कारण हम खतरे से बचने के लिए सतर्क और सावधान हो जाते हैं।
• भय के कई कारण हो सकते हैं। कुछ सामान्य कारणों में शामिल हैं:
• शारीरिक खतरा । जैसे कि एक जानवर से डरना
मानसिक खतरा । जैसे कि एक परीक्षा से डरना
• सामाजिक खतरा। जैसे कि किसी सामाजिक स्थिति से डरना
• आर्थिक खतरा । जैसे कि बेरोजगारी से डरना
• भय हमारे जीवन पर कई तरह से प्रभाव डाल सकता है। यह हमारे व्यवहार को प्रभावित कर सकता है, हमारे निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है, और हमारे स्वास्थ्य पर
भी प्रभाव डाल सकता है।
• भय को नियंत्रित करना आवश्यक है। भय को नियंत्रित करने के कई तरीके हैं, जिनमें शामिल हैं:
• खतरे का सामना करना
• खतरे के बारे में जानकारी प्राप्त करना
• खतरे के बारे में सकारात्मक सोचना
• आत्मविश्वास बढ़ाना
• भय एक शक्तिशाली मनोभाव है। इसका हमारे जीवन पर
गहरा प्रभाव पड़ सकता है। भय को नियंत्रित करने के लिए
हमें इसके बारे में समझना और इसके प्रभावों से अवगत होना
आवश्यक है।
निष्कर्ष
भय एक आवश्यक मनोभाव है, लेकिन इसका अतिरेक हानिकारक हो सकता है। भय को नियंत्रित करना आवश्यक है ताकि यह हमारे जीवन में बाधा न बन जाए।
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का जीवन परिचय
- नाम : आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
- जन्म दिवस : 04 अक्टूबर 1884 ई.
- जन्म स्थान : अगौना ग्राम, बस्ती, (उत्तर प्रदेश)
- पिता का नाम : चन्द्रबली शुक्ल
- माता का नाम: निवासी देवी
- साहित्यिक काल : आधुनिक काल
- सम्पादन : काशी नागरी प्रचारिणी का सम्पादन कार्य
- मृत्यु दिवस : 02 फरवरी 1941 ई.
- मृत्यु स्थल : वाराणसी, उत्तर प्रदेश
- प्रमुख रचनाएँ: चिन्तामणि, रसमीमांसा, विचारवीथी, त्रिवेदी इत्यादि ।
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